भारतीय सेना का अपमान और आतंकवादीयो का महिमा मंडन करने हेतु बांमपंथीयो की विचारधारा पर आधारीत फिल्म। जो फिल्म के लिये मेहेनत का ढिंडोरा पिटते है उन्हे ये भी पता होना चाहिए इस देश को Tolerant बनाने के लिये कितने बलीदान हुऐ है । जो देश के सैनिको को सलाम नही कर सकते उनकी फिल्म थिऐटर तक आ गयी यही बहुत है। जिनकी फिल्मे भारत से ज्यादा चायना मै पैसा कमाती है दाल मे कुछ काला नही पुरी दाल काली है। तुर्की से भारत के रिश्ते जानते हुऐ भी वहां क्यु जाते है।