मैं हमेशा दक्षिण भारतीय फिल्मों का इतना प्रशंसक रहा हूं कि मैंने उनके लगभग सभी रीमेक हिंदी में देखे हैं और यहां तक कि उनकी सराहना भी की है। वांटेड, राउडी राठौर, कबीर सिंह, द्रिशम और सिंघम आदि जैसी फिल्मों ने सामिल हैं , जिन्होंने हमें सभी को प्रेरित किया है और इस तथ्य के बावजूद हमें सीटों से जोड़ दिया है कि हम पहले से ही कहानी के साथ अच्छी तरह से वाकिफ हैं। लेकिन इस फ्लिम लक्ष्मी जिसने किन्नरों की हक के लिए आवाज़ उठाया जो कि सरानिया हैं, लेकिन किसी के धार्मिक आस्थाओं को ठेश पहुंचाने का इन्हे कोई अधिकार नहीं। राघव लॉरेंस एक बहुत अच्छे निर्देशक और अभिनेता हैं, लेकिन लक्ष्मी नाम इस फिल्म को बहुत सोच समझ कर दिया, ताकि इससे लोगो की अस्ता को ठेस पहुंचे और इनके फिल्में बोऑक्स ऑफिस में कमाई के रिकॉर्ड बनाए जैसे "PK" फिल्म में हुआ।मेरी विनम्र सलाह भले ही यह ज्यादा मायने नहीं रखती है, कृपया इस फिल्म को छोड़ दें और अपने 2 घंटे 20 को किसी सार्थक काम में लगाए।धन्यवाद्🙏