इस सीरियल को एक पारिवारिक सीरियल की भांति देखना दिन प्रतिदिन कठिन होता जा रहा है। रिश्तों में मिलावट समाज में ना के बराबर होती है किंतु इस की कहानी में हर रिश्ता ही बेईमान दिखाया जा रहा है। गिरगिट भी इतनी जल्दी रंग नहीं बदलता होगा जितना कि इस कहानी के पात्र रंग बदलते हैं। एक चरित्र अभी देवता स्वरूप होता है वो पलभर में रावण को भी मात करता है। क्या तमाशा सा बना रखा है। और अब समर को मारना, अब तो इसे झेलना कठिन होता जा रहा है