आसाराम बापू के खिलाफ चर्चित फर्जी छेड़छाड़ मामले को जायज ठहराने की कोशिश कर रही पक्षपातपूर्ण फिल्म,
मूल रूप से इस मामले को राजस्थान सरकार द्वारा नियुक्त कई वकीलों द्वारा संभाला गया था, सिर्फ 1 बंडा नही था,
जोधपुर की निचली अदालत ने भी कोई चश्मदीद गवाह और कोई मेडिकल सबूत नहीं होने के बावजूद भी केवल "शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए बयान के आधार पर " फैसला सुनाया था जिसे हाईकोर्ट में चुनौती देने के बाद हाईकोर्ट ने 3 सह आरोपियों को आरोप से मुक्त कर जमानत दिया था लेकिन बात जब आसाराम बापू के रिहाई तक आ गई तब से करीब 3 सालों से सिर्फ अगली तारीख ही मिल रही है,
biased movie trying to justify the famous fake molestation case against Asaram Bapu,
basically this case was handled By many lawyers, appointed by Rajasthan Government, Not only one Bandaa, the judgement given by Lower Court of Jodhpur based only on "the Statement given by complainant despite there is No EyeWitness and No Medical proof " when the judgement was challenged in High Court they have given Bail to other co-accused