यदि किसी लेख को आप पढ़कर, लेखक की भावना को जी ले तो इससे ज्यादा सार्थक क्या ही हो सकता है। गुनाहों का देवता पढ़ने के अंतिम चरण में मैं जिस तरीके से भावुक हुआ हूं कि उसे शब्दों में नही बयान कर सकता। मेरी आत्मा तक ने उन भावनाओ को महसूस किया। इस रचना की कलात्मकता और भावनात्मकता किसी भी पत्थर दिल को भावविभोर करने के लिए काफी है।