बहुत ही निराशाजनक । रामायण और श्रीराम जन जन में बसे हुए हैं, उनका इतना खराब चित्रण, उम्मीद नहीं थी। रावण की लंका को सोने की जगह कोयले की बना दिये। अशोक वाटिका तो लग रहा है कि दीवाली के झालर लगा दिए हैं। सीता हरण पुष्पक विमान में हुआ था ना कि चमगादड़ के ऊपर बैठ कर।लंका में सिर्फ रावण और इंद्रजीत ही थे, पूरी लंका सुनसान। रावण कम ओरंगजेब ज्यादा लग रहा था। कुल मिलाकर मजाक बनाया गया है और कुछ नहीं।