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साफतौर पर भोजपुरी फिल्में अभद्र गलियों से भरी संवादो के कारण न केवल अपना अस्तित्व खोती जा रही है,चूंकि फिल्मे समाज का आईना होती है,इसलिए ये समाज व संस्कृति को भी डुबो रही है।
समीक्षक-भोजपुरी लोकगीतकर।।।