‘ईब आले ऊ’ नाम की एक नई फिल्म आई है. सिनेमा क्या होता है, एक आर्ट फिल्म कैसे पूरे सिस्टम पर तमाचा जड़ती है, आप इस फिल्म को देखने के बाद महसूस करेंगे. इस फिल्म में दिखाया गया है कि दिल्ली एक जंगल है, जिसमें तरह-तरह के जानवर रहते हैं. हर बड़ा जानवर अपने से छोटे को परेशान करता है.
वैसे फिल्म में सिर्फ दो जानवर ही हैं. एक आदमी और दूसरा बंदर. लेकिन दोनों में कोई खास फर्क नहीं है. संघर्ष करते-करते कैसे एक आदमी लंगूर बन जाता है. कैसे एक बंदर और एक आदमी में कोई फर्क नहीं रह जाता, आप इस फिल्म में देखेंगे.
हममें से बहुत से लोग हैं जो दिल्ली आते हैं ताकि कुछ बन सकें, अपने सपनों को पूरा कर सकें. लेकिन एक ऐसा तबका भी यहां आता है जो सपने देखना तो दूर, वह जिस काम को पसंद भी नहीं करता, उसे भी पेट भरने के लिए मजबूरी में करना चाहता है. उसमें भी कुछ लोग टांग खिंचते हैं. उसकी जिंदगी शुरू होने से पहले ही दफनाने लगते हैं.
फ़िल्म में दिखाया गया है कि लुटियंस दिल्ली में जहां सरकार की मर्सिडीज, ऑडी जैसी लग्जरी गाड़ियां दौड़ती हैं, उन्हीं सड़कों पर एक बंदर हांकने वाला तबका भी दौड़ता है. ठेकेदारों की अकड़ भी वहीं है और मजदूरों की बेबसी और लाचारी भी वहीं है. सब देखिये सिर्फ एक फ्रेम में.
फिल्म का एक-एक मिनट बेहद कीमती है. बस देखते जाइये, हर जगह सटायर है. कहानी, कैरेक्टर के बारे में नहीं लिखा क्योंकि मजा बिगड़ जाएगा.