ईदगाह वात्सल्य,ममत्व की अनूठी कहानी है। जैसा की बड़ो-बड़ो को सीख दी जाती है बाजार से "जरूरत का जीरा और स्वाद का नमक " ही खरीदना चाहिए लेकिन इस कहानी में हामीद जैसे मासूम बालक द्वारा बालपन में गहन सूझबूझ रखते हुए आकर्षक बाजार की चकाचौंध में न खोकर दादी के लिए मोलभाव कर चिमटा लेना रिशतों की अथाह गहराई और बालमन की अद्भुत समझ को प्रस्तुत किया गया है।