कुछ कहानीया ऐसी होती हे, जो शायद सदिया लेती है जान जाने के लिए। हम इन्तजार करेंगे कयामत तक, रहेगा नाम तेरा कयामत तक। मुग़ल-ए-आजम और पाकीज़ा जैसी फिल्मों के साथ किसी फिल्म का नाम लिया जा सकता है तो है ये भी है, पर शायद कुछ एसे भी काम होते है जिनकी तारीफ कम ही होती, ये आज मेने जाना।