रेजांग ला मोर्चे के युध्द और सैनिकों के शौर्य का चित्रण सही किया है, लेकिन इस पर और रिसर्च की आवश्यकता थी जैसे-
रेवाड़ी को एक गांव बताया गया है, जबकि वो एक जिला है। ये सभी सैनिक जिस अहीरवाल एरिया से संबंध रखते हैं, उस संस्कृति का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा गया। अभिनेताओं का लहज़ा हरियाणवी की जगह महाराष्ट्रीयन है, वेषभूषा, संस्कृति बिल्कुल भी अहीरवाल से नहीं मिलती है। बाकि इन रणबांकुरों के शौर्य और इस युध्द के महत्व का फिल्मांकन अच्छा किया है।