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जितना भी पड़ा है , सुशोभित अपकी कविताओं को हैरान हूँ - सोच की गहराई पर, शब्दो के चुनाव पर, मैने बहुत से लोगो को पढ़ा है मगर आपकी लेखनी का अलग ही प्रभाव है, इस्वर से यही प्रार्थना है आप सदैव ऐसे ही लिखते रहे और कुश रहे ।