बहुत ही शानदार शैली में लिखी गई हरिवंश राय बच्चन जी की आत्म-कथा है। इस पुस्तक में इन्होंने अपने बारे में सब कुछ इतनी बेबाकी,साहस और सद्भावना से कह दिया है जितना कि हिंदी साहित्य के हजार वर्षों में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।ऐसी अभिव्यक्तियाँ नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का काम करेंगी, इसी में उनकी सार्थकता भी है। यह हिंदी के आत्मकथा-साहित्य की चरम परिणति है। 👌👌👌