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बहुत ही सार्थक पुस्तक है जो सत्य पर आधारित व वेदों के पूर्ण अध्यन कर के सरल भाषा मे प्रकाशित की गई है। मै समझता हूँ कि इस पुस्तक को पढ़ कर सत्य का ज्ञान मिलता है। स्वामी दयानन्द का ऋण हम कभी भी न चुका सकेंगे।