ये एक फिल्म नही है, ये वो घटना है जिससे हमारे हिंदू पंडित भाई बेहनो पर किये गये जखमो का लेखा जोखा है!ये तमाचा उन धर्मनिरपेक्ष और लिब्रजो के लिये जिन्होने उस समय आवाज नही उठाई, और ये एक सबक हैहमारे आनेवाले पिढीके लिये जो सोये हुये है!अगर आज जाग जाये तो ठीक नही तो फिर एक बार मंजर से गुजर ना पडे