आप 22 वर्ष पूर्व जैसी गदर की उम्मीद लगाकर यह मूवी देखने जा रहे है तो आपकी अपेक्षाओं पर यह खरी नहीं होंगी ।कारण साफ है 23 साल पहले अमीषा पटेल को देखना और अभी देखकर काफ़ी फर्क है। अमरीशपुरी साहब की कमी खलेगी, वही जीते जो अब बड़े हो चुके है, डायरेक्टर अनिल शर्मा के पुत्र उत्कर्ष की एक्टिंग मे उतना दम नजर नहीं आया ना ही वैसी मासूमियत जैसी ग़दर मे थी.!बल्कि लड़ाई -भिड़ाई में कुछ ज्यादा मासूम लगे ,,तारा सिंग ,जीते पर भारी दिखे ।
अब बात करते है ग़दर 2 मे आखिर ऐसा है क्या तो साहब इसमें सिर्फ छाये है सनी देओल जो कि पुरी फिल्म की यूएसपी है, ज़ब भी वो स्क्रीन पर नजर आते है छा जाते है.. फ़िल्म का फर्स्ट हाफ स्लो व केरेक्टेर्स को सेट करने के चक्कर मे थोड़ा लचर लग सकता है.. लेकिन जनाब मजा सारा 2nd हाफ मे है, जहाँ फ़िल्म मजेदार व जबराट है.कुल मिलाकर अच्छी मूवी है.. यदि आप सनीदेओल के प्रशंसक है तो यह फ़िल्म जरुर देखें,
दूसरा पंद्रह अगस्त के समय भारत माता की जय आटोमेटिक ऊर्जा का संचार कर देती है और फिर पाकिस्तान हाय-हाय के नारे तो स्टीरायड का काम करता है ।
एक बात तारा सिंग की बहुत प्रभावित की, अपने परिवार के लिए कुछ भी कर जाने का जज्वा ।ग़दर-1 में अपनी बीबी बच्चे को भारत लाना और ग़दर-2 में अपने बच्चे के लिए पाकिस्तान जाना ।असल मे ऐसे मामले में तारा सिंग की आत्मा हम आम आदमी को अंदर तक प्रभावित करने लगती है ,वो तो अपने बच्चे के लिए पाकिस्तान तक चला गया ,हम यहीं संघर्ष करने से मना कर देते हैं ।
“भारत माता की जय”
🙏😊🙏 वन्दे मातरम् 🙏😊🙏