गुनाहों के देवता जब पढ़ने बैठा तो कहानी ने और भाषा शैली ने मुझे ऐसे बांधे रखा, की मुझे पता ही नही चला कैसे पुरा उपन्यास खत्म हो गया। कहानी में डूबता गया, हर पन्नो से आगे बढ़ती कहानी को जानने की उत्सुकता मुझे आगे पढ़ने के लिए मजबूर करती गई। चंदर और सुधा का प्यार प्रेमियों का जीवंत उदाहरण है। अंत मैं पढ़ते पढ़ते मेरा शरीर सिहर उठा और आंसू आ गए जब सुधा मर गईं ।
उपन्यास पढ़ के काफ़ी अच्छा लगा, बहुत कुछ सीखने को मिला। आप लोग जरूर पढ़िए ।❤️