यह हमारे लिखने मे लगे समय तक के योग्य नही है परंतु लिखना आवश्यक है , यह फिल्म एकमात्र उपहास है सनातन पर और हमारे प्राचीनतम इतिहास पर । यह मनोरंजन के नाम पर जहर परोसा जा रहा है , जो वर्तमान मे व भविश्य मे आने वाले समाज पर गहरा असर रखेगा । यह फिल्म और इसके निर्माता को जरुरी है कि सर्वप्रथम वह जाकर वाल्मीकी रचित श्री रामायन का गहन अध्ययन करे अथवा रामानंद सागर जी की रामायन को जरुर देखे।
यह समाज से पहले इन समाज मे रहने वाले विशधरो के लिये आवश्यक है ।