कुछ विचार,
पहले तो जहां राम वहां विजय
१) १ कहानी जो भारत की आत्मा है, उसकी मार्गदर्शक है, को आधुनिक कलेवर में पेश किया गया है। ( प्रारंभ में ही फिल्म निर्माताओं ने क्रिएटिविटी की छूट मांगी है, लेकिन उस समय कुछ भटके हुए लोग अपना स्थान ढूंढते हैं, कुछ वॉट्सएप पर आखिरी मैसेज कर रहे होते हैं)
२) आधुनिक समाज में छपरी वर्ग ही रावण है, उनसे सब परिचित हैं, अगर आप नहीं हैं तो आप कुंभकरण होंगे।
३) श्रद्धा, साक्षी गौतम हमारी बहन बेटियां हैं, उन पर हाथ डालने वाले रावण जिनके दस चेहरे हैं, वो हिंदू साधु बनके आते हैं।
४) जो कह रहे लंका सोने की नहीं है, भाषा संस्कृत मय नहीं है, उनके लिए एक ही बात नारायण समय के अनुसार अवतार लेते हैं, यह शास्त्र सम्मत है। वर्तमान राक्षस वैसे ही हैं जैसे कि फिल्म में चित्रित हैं।
५) फिल्म आपको एक जबरदस्त अनुभव देगी, जहां श्री राम तथा भक्त हनुमान हों वहां सर्वश्रेष्ठ काम ही होता है।