मतलब अब बात आती है निजी अधिकारों की, लक्ष्मी अग्रवाल को उसी की जीवनी पे बनी इतनी दुखद घटना की फ़िल्म के लिए रॉयल्टी कस नाम पे तमाचा मारा है मेघना गुलज़ार ने, खुद खेलो करोड़ों में पर जिसकी जीवनी प्रदर्शित करी है, उस से पूछके ही करी है पर वो नैतिकता नही थी तुम्हारी की इतने सस्ते में उसकी मजबूरी का फायदा उठाओ और वो भी अपने ज़मीर की पक्की लड़की , उसने भी मांग नही करी रॉयल्टी बढ़ाने के लिए, इसलिए थू है दीपिका और मेघना दोनों पे, मूवी की तो माँ की आंख मुझे तो ये भेदभाव समझ नही आया बॉलीवुड वाली नचनिया का 🖕🖕🖕🖕