'द हिडन हिंदू-1,2 & 3'. अक्षत गुप्ता की ये तीनो किताब मैंने हफ्ते भर में पढ़ डाली। चार युगों में फैली इस कहानी को तीन भागों में समेटना भी काबिलेतारीफ है। पहले भाग में चुँकि कहानी की शुरुआत होती है और कोई साफ परिदृश्य नहीं उभर पाता, इसलिए कहानी बांध नहीं पाती, परन्तु इतने प्रश्न जरूर खड़े कर देती है कि आप दूसरी किताब उठाने से खुद को रोक नहीं पाते। अब दूसरी और तीसरी किताब के बारे में सिर्फ इतना ही कहूंगा कि एक बार पढ़ना शुरु करने के बाद रोक पाना मुश्किल था। अगर भारत के पौराणिक इतिहास के साथ साथ किसी ने भारत के इतिहास के बारे में भी पढ़ा हो तो उन सभी जानकारियों, जगहों और घटनाओं को एक दूसरे से जुड़े हुए देखना भी काफी दिलचस्प है।
पर कुछ चीजें खटकती भी हैं, खासकर 'शब्द' प्राप्त करने वाली कई घटनाओं को बहुत आसान बनाते हुए बहुत कम शब्दों में समेट देना, 'नागेंद्र' के शक्तिशाली होने के बारे में कोई विवरण न होना, परशुराम की शक्ति को कमतर दिखाना, पनडुब्बी का बिना किसी रोकटोक के भारत के समुद्री क्षेत्र में घूमना खासकर जब आधुनिक तकनीकों का किताब में जिक्र हो, आदि । इन बातों को बेहतर तर्कों के साथ लिखा जा सकता था।
इन कुछ बातों को नजरंदाज करते हुए कुल मिलाकर कहें तो एक शानदार किताब जिसको लेकर कम से कम दो भागों में फिल्म निश्चित रूप से बनाई जा सकती है और संभवत: एम एस धोनी की कंपनी ने इसपर काम भी शुरु कर दिया है। एक और बात, अगर आप गौर करें तो मार्वल के 'ENDGAME ' सीरिज के फिल्मों की याद आपको इस किताब का तीसरा भाग पढ़ने के बाद आ सकती है।