पता नही देश किस ओर जा रहा है, शायद पैसा प्रधान हो चुका है सभ्यता संस्कार की कोई वैल्यू नही बची है,
सिगरेट शराब सेक्स हतियार बड़ी बड़ी गाडियां बॉयलेंस बस यही परोसा जा रहा है, मैं तो ये सोचता हूं की आज कल के बच्चों पर इसका क्या प्रभाव हो रहा होगा, क्योंकि उनको तो यही लगता होगा की यही सब जीवन है जो की बिल्कुल गलत है,
परिवार के साथ या तो आप आजकल की बशिर्मी लादकर आप बेशर्मी भरी फिल्में देखिए या फिर सभी को इस सबका विरोध करना चाहिए, आप लोग ये सोच भी नहीं सकते की अपने बच्चों पर इस टाइप की मूवी का क्या प्रभाव लगातार पड़ता जा रहा है, ये चिंता केवल इस मूवी को लेकर नही बल्कि उन तमाम वेबसरीज और बेशरामी से भरी फिल्मों को लेकर है जिसमे सेक्स हत्याएं पैसे का शो ऑफ सिगरेट शराब को ही जीवन काम हिस्सा दिखाया जा रहा है