आज गए थे पूरे परिवार समेत लाल चढ़ा सिंह देखने गए थे, 7 टिकट ली थी एडवांस में, वैसे मुझे समझ जाना चाहिए था जब रिव्यू पड़ लिया था जाने से पहले, लेकिन टिकट 2 दिन पहले खरीद ली थी.....लेकिन मन चंचल है...देखते नही तो मानते कैसे....की सही है या खराब....अमीर खान के स्टैण्डर्ड की मूवी बिल्कुल नही है, शुरुवात से ही देख लो एक मुर्गे का पंख उड़ता है और वो हीरो के जुते पे चिपक जाता है हीरो यानी अमीर खान उसको जेब में रख लेता है, पूरी फिल्म में हीरो आपनी ही आप बीती एक अनजान भीड़ को ट्रेन में सुनता रहता है, सुनता क्या है ये न पूछो, बिल्कुल बकवास, मेरा 8 साल का लड़का बीच बीच में बोलने लग गया पापा ये कन्हा आ गए हम, हालांकि उसने मूवी देखना पिछले 6 महीने से ही शुरू किया, लेकिन आंकलन उसका मेरे से उम्दा है।
फिर भी जैसे तैसे फ़िल्म पूरी देखी लेकिन बाहर आ के ऐसा लगा जैसे किसी नौ सिखये ने फ़िल्म बनाई हो या यूं कन्हे कि हमारी समझ से परे थी।
पैंसा वेस्ट है, कृपया न जाएं