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एक ऐसी स्त्री की कहानी जो अपनी मातृभूमि से बिछड़ जाति है ।30 साल के निर्वासन के बाद जब वह अपनी मातृभूमि से मिलने पहुंचती है तो वहां पहले जैसा कुछ भी नहीं होता। अपनी बिछड़ी हुई मातृभूमि से मिलने के बाद उसे कैसे अनुभव होते हैं इसी की कहानी है फेरा।