सबसे पहले शब्दों का चयन सही नही किया गया है, राम और लक्ष्मण की जगह राघव और शेष का प्रयोग किया गया है।पात्रों का चयन भी सही नही लग रहा है ,कहानी के चयन में भी कमी लगती है। मध्यांतर के बाद ही फ़िल्म छोड़कर जाने का दिल हो गया, अन्ततः जबरदस्ती देखना पड़ा, और फ़िल्म बनाने वाले, डॉयलाग लिखने और बोलने वाले को भारतीय संस्कृति और मर्यादा का ज्ञान कम लगता है और बस राम के नाम पर पैसा कमाना चाहते हैं।