आप अपने मकान में बड़े खुशनुमा दिन बिता रहे हैं। एक दिन आपके मकान के बाहर कोई पर्चा चिपका जाए कि एक महीने में घर खाली कर के चले जाओ नही तो गोली मार देंगे.... तो आपको कैसा महसूस हो ! आप डरें फिर सोचे नही पुलिस प्रशासन आस पड़ोस हमारे साथ है। हम क्यों जाएं अपना घर छोड़ के !
एक रात भीड़ शोर करती हुई आये और घर पे पेट्रोल बम फेंक दे। आप डरते घबराते जो हाथ मे आये बन सके लें और परिवार को बाहों में भिंचे दूसरे शहर निकल जाएं। जहां आपको बस एक छोटी जगह दे दी जाए टेंट में । आप दिन महीने साल वहीं टेंट में काट दें एक दूसरे को ढांढस देते हुए की सब ठीक हो जाएगा हम वापिस अपने घर जाएंगे। कोई मदद नही कर पा रहा आप राष्टपति को ढाई हजार चिट्टी लिखे जा रहे इसी उम्मीद से की उनका ध्यान इस तरफ जाए।
और एक दिन तीस साल बाद प्रेसिडेंट की चिट्ठी आये वो आपसे दिल्ली में मिलना चाहते हैं। आप खुशी के रो दें।
ये कहानी है 'शिकारा' फ़िल्म की।
इसमे दर्द है कश्मीरी पंडितों पर एक प्रेम कहानी भी है मजबूत अभिनय है आदिल खान और सादिया का। प्रियांशु भी है 'तुम बिन' वाले। आदिल और सादिया को देख कर लगता नही ये उनकी पहली फ़िल्म है। सादिया ने जवान होते हुए बूढ़ी औरत का किरदार किया जबकि कोई और हेरोइन न करती और वो फबि भी।
कहानी आगे भी है पर मैं पुरी कहानी लिखना नही चाहती। आपके पास प्राइम हो तो जरूर देखें कश्मीरी पंडितों की ये कहानी।
डायरेक्टर हैं विधु विनोद चोपड़ा । शायद उनकी अपने माता पिता की कहानी है। जरूर देखें
3.5/5*