उस समय धर्म के नाम पर अंध विश्वास फैला कर और जाति के आधार पर शूद्रों का दैहिक, भौतिक और मानसिक शोषण करने की पराकाष्ठा थी। तब कोई देवी-देवता और कोई भगवान् बचाने नहीं आया था और न ही किसी की अंतरात्मा धिक्कारती थी। धन्य हैं बाबा साहेब डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जिन्होंने अपना सुख चैन मारकर पत्नी और बच्चों के दुख दर्द की परवाह न कर अपार परेशानियों से जूझते हुए शूद्रों (दलित और पिछड़े) महिलाओं के लिए संघर्ष कर देश के उत्थान के लिए सार्थक प्रयास किया और देश के लिए अनूठा संविधान दिया। देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।