गांधी जी के स्वप्न के स्वराज का मुल मंत्र पंचायत सशक्तिकरण है ।
विकेन्दीृकरण सत्ता और उत्पादन का गौवंश और पशुपालन खेती दो बैलो की जोड़ी से सामुदायिक रसोई और श्रम आधारित पैतृक उधोगीकरण को पुनः स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए ।
वताकि पुंजीवादी लुट तंत्र के माध्यम से स्वरोजगार का शोषण न किया जा सके और vast resources of renewable energy of men power in India and developing world का सदुपयोग किया जा सके।
पुंजीवाद के प्रभाव मे उस समयहगांधी जी हिन्द स्वराज पुस्तक की प्रस्तावना मे लिखते है मै अभी अपने सपनो के स्वराज के लिए प्रयास भी नही कर पा रहा हु भविष्य मे जब आप इनसे परेशान होगए तो मेरे लिखे हुए सुत्र से मार्गदर्शन लेते हुए स्वराज पा सकेगे