मुंशी प्रेमचंद जी ने 1936 के भारत का, भारतीय किसान के परिवार का, जीवन्त वर्णन किया है "गोदान" में !!
भारत गांवों में बसता है और भारत की दुर्दशा और किसान की दुर्दशा दोनों में रिश्ता है। जब किसान की दुर्दशा सुधरेगी ,जब उसके घर में खुशहाली आएगी, तभी देश में खुशहाली आएगी।