चंद्रगुप्त मौर्य क्षत्रिय कूल का था । यह मोरिय नामक क्षत्रिय कूल नेपाल की तराई में स्थित जगह पिप्पलीवन नामक स्थान पर निवास करते थे । चंद्रगुप्त मौर्य के पूर्वज इसी पिप्पलीवन में निवास करते थे । ब्राह्मण आचार्य चाणक्य , शुद्र वंश नंद द्वारा मगध पर किए जा रहे अत्याचार से दुखी थे और इस शुद्रवंशीय नंदो को उखाड फेंकना चाहते थे । ऐसे समय राजा का खेल खेलते बालक चंद्रगुप्त को देखकर वह बहुत प्रभावित हुए और इस पिप्पलीवन के मौरिय क्षत्रिय बालक चंद्रगुप्त के माध्यम से मगध के उत्थान का सपना देखा और धनानंद को पराजित कर उसे पूरा किया ।