एक ऐसी फ़िल्म जो बंटवारे के दर्द को बयां करती है। सियासत दो देशों के बीच लकीरें खींच देती है, मज़हब दीवारें खड़ी कर देती हैं लेकिन जब दिल बंटते है तो आंसू के साथ साथ खून बहते हैं। और उस गीली मिट्टी से नफरतों की फसल उगती है इधर भी और उधर भी। बलराज साहनी का शानदार अभिनय और दमदार किरदार पूरे फ़िल्म में छाया रहा। एक ऐसी फिल्म जो देखने के बरअक्स समझने और महसूस करने के लिए है।