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Khushboo kumari
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आग ही आग और प्रेरणा ही प्रेरणा है इन कविताओं में।अपना सर्वस्व लुटाकर भी समाज हित की जो लालसा दुष्यंत के भीतर पल रही थी उसकी ऊष्मा स्पष्ट महसूस की जा सकती है।
Aawazon Ke Ghere
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5y
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