‘द हैप्पीएस्ट मेन ऑन अर्थ’ इतिहास के निकृष्टतम अमानवीय कृत्यों का एक प्रामाणिक संस्मरण होने के अतिरिक्त, सकारात्मक दृष्टिकोण की सबसे उदार व्याख्या भी प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक आज धार्मिक एवं नस्लीय नफ़रत से उफनते महासागरों में मानवता की डगमगाती नाव के लिए किसी प्रकाश स्तंभ से कम नहीं है।
यद्यपि इस पुस्तक में होलोकॉस्ट के जिन अत्याचारों से पाठक रूबरू होता है वे नाजियों द्वारा किए गए संपूर्ण अत्याचारों का एक छोटा सा अंश मात्र है फिर भी एडी ने अपने जीवन के आखिरी समय में इस पुस्तक के रूप में पूरी दुनिया को एक ऐसे अमर दस्तावेज की सौगात दी है जो व्यक्ति के भीतर छुपे शैतान और उस शैतान को पोषित करने वाले विचारों और अवधारणाओं के भयावह नतीजों से हमारा साक्षात्कार कराती है। जहाँ एक ओर यह पुस्तक सचेत करती है कि धर्म के आधार पर एक इंसान की दूसरे इंसान से नफ़रत और नस्लीय श्रेष्ठता का मिथ्याभिमान मानवता को किस प्रकार तबाह कर सकता है, वहीं दूसरी ओर जीवन के प्रति सकारात्मक रहने, भूतकाल के अन्याय और अत्याचार को भुला कर वर्तमान पर अपने को केंद्रित करने और खुशियों को बाँटने का महान और उदार संदेश देती है। 12 अक्टूबर 2021 को एडवर्ड जाकू ओएएम ने 101 वर्ष की उम्र में अपनी सांसारिक यात्रा पूरी की. उनके अनुभव और विचारों को यथासंभव फैलाना ही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.