हर एक भारतीय को यह मूवी देखनी चाहिए, रणदीप हुडा ने एक सशक्त किरदार निभाया है इसमे कोई संदेह नहीं। पर इसके साथ साथ एक सम्पूर्ण मराठी ब्राम्हिन कुटुंबने अपने आप को देश के लिए समर्पित कर दिया और बदले मे उन्हे क्या मिला ? उनकी पहचान तक मिटाने का प्रयास किया गया। वीर सावरकर जी के विचार उच्च कोटी के थे । अगर देश को आगे बढ़ाना है तो देश को अंदर से और बाहर से मजबूत करना होगा। इसके लिए हमे सीमा पर सुरक्षा जवानोको और देश के अंदर शिक्षक जो सही शिक्षा पढ़ाए दोनों को हमेशा खुश रखना होगा , तभी हमारी आनेवाली पीढ़ी सकारात्मक विचारोसे उत्तम बनेगी और देश का जवान जो सरहद पर अपनी जान की बाज़ी लगाए बैठा है वह भी अपने परिवार के प्रति निश्चिंत होके देश की सेवा करेगा। पर बदकिस्मतीसे हम वीर सावरकर द्वारा किए गए समर्पण को जानने मे असमर्थ रहे नाही उनको वह सन्मान दिला पाए नाही उनको पहचान पाए । यह एक साधारण व्यक्ति था ही नहीं यह तो बदलाव की आँधी थी जिसे घिनोने राजकारण ने दबा दिया । दोस्तो एकबार यह मूवी देखे और सच्चे मनसे उन्हे श्रद्धांजली अर्पित करे इतना तो हम कर ही सकते है।