धन्यवाद रणदीप हुडाजी को. वीर सावरकर बहुतही बढीया फिल्म बनाई है. वीर सावरकरजी के पात्रको सही ढंगसे दिखानेमे काफी हद तक सफल रहे है. उनका अखंड भारत का सपना एवं सोच और आत्मविश्वास के साथ उनकी प्रयत्नशीलता और सहनशीलता सराहनीय है. विधाताने वीर सावरकरजी के प्रारब्ध में सफलता एवं स्वातंत्र्य प्राप्ति का श्रेय नही लिखा था, यह बात दःख दायक लगने लगती है, और अफसोस करवाती है. वीर सावरकर जी ही स्वतंत्र भारत के सचमुच "राष्ट्रपिता" कहलाने के हकदार थे, ऐसा ही लगने लगता है. अखंड भारत के विभाजन के समय कॉंग्रेस की गलतीओकी हींट मिलती है. एकबार अवश्य हर हिंदुस्तानी ने यह फिल्म देखेदेखनी