इस फिल्म में अदाकार से ज्यादा वह छोटे नगर की गलियां, मकान, कुंए, समंदर, किल्ला सब ज्यादा बातूनी लगे सबसे ज्यादा केमेरा, एंगल और पेस बोलता है! अरे सिर्फ बोलता नहीं गाता है, गुनगुनाता है और रोता भी है।
और हां कोई भी कलाकार को हल्के में न लें! तीनों मुख्य किरदार निभाने वाले अभिनेता /अभिनेत्री ने शानदार प्रदर्शन किया है। इतना सहज और असरदार की आप को याद भी नहीं आयेगा की आखिर इससे पहले कब इतना स्मूथ और सटीक इमोशनल एक्सप्रेशन आपने देखा होगा ।
इस फिल्म में जिसने सिनेमेटोग्राफि निभाई है वह कमाल है!
गलती से एनिमल मूवी का ट्रेलर देख लिया था और करण जोहर की कोई मूवी भी गत वर्ष देख ली थी .. रोकी रानी जैसा कुछ नाम था। जिसका मलाल था दिल में
यह फिल्म देख के आखिर वह टॉक्सिक से राहत मिली।
बस एक अफसोस रहेगा की यह फिल्म बड़े पर्दे पर देखने को मिलती तो मजा आ जाता! कितना सुंदर है कोंकण का का हर कोना, कितना असरदार और सटीक डायलॉग जिसमे ज्यादा लम्बा कुछ भी नहीं खींचा जाता फिर भी लंबे वक्त तक असर गूंजता है!
बाकी जो हीरो, विलन, मेसेज, देशभक्ति, थ्रिलर, रोमांस, कॉमेडी वगेरह ढूंढ ने की आस में यह फिल्म देखने जाएगा वह पछताएगा!! यह सब कुछ न होने के बावजूद (या शायद इसी लिए!) यह फिल्म में कितना कुछ है।