सिर्फ एक स्टार काफी है..
मेरे जैसे मनोज बाजपेयी के फैन के लिए ये बहुत बड़ी निराशा की बात है, मुझे यकीन ही नहीं हो रहा कि मनोज ने इस फिल्म में काम किया ? निर्देशन बहुत खराब है, और कमजोर कहानी के साथ वे कुछ भी अच्छा देने में कामयाब नहीं हुए। मनोज को लगा वो कश्मीर फाइल्स और केरला स्टोरी की तरह इसे भी सच्ची घटना करके दिखाएगा लेकिन सच्ची घटना पर कहानी दिखाने के लिए मनोज और डायरेक्ट ने कोई शोध नहीं किया है । अगर शोध की होती तो कहानी टोटली चेंज होती ।
मनोज ने अपनी छवि खराब कर दी अपने प्रशंसकों के बीच में ऐसी मूवी करके ।
बॉलीवुड में विवादास्पद विषयों को चुनने का चलन है, लेकिन यहां खराब डायलॉग डिलीवरी के साथ हर समय एक उबाऊ कोर्टरूम दिखाने के कारण कुछ भी इंटरेस्टिंग नहीं लगा । यहां ये कहा जा सकता है कि सिर्फ एक बंदा नहीं इस मूवी को एक स्टार ही काफी हैं ।