यह फिल्म हमारी सांस्कृतिक धरोहर रामायण को देखकर तैयार की गई है , रामायण ऐसा महाकाव्य है जिसको 3 या 4 घंटे की फिल्म में समाहित करना संभव नहीं था । फिर भी यदि इस फिल्म का निर्देशन राजमौली साहब करते तो जरूर यह फिल्म जीवंत महसूस होती । किरदारों के बीच व्यक्तिगत वास्तविक संवाद की कमी लगी और VFX का प्रयोग अधिक । अपने धर्म की नींव को संजोकर संभालकर दिखाना जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ी उससे शिक्षित हो न की भ्रमित ।