#कलंक निहायती घटिया और बकबास मूवी है।मुझे तो धर्मा प्रोडक्शन पर विश्वास ही नहीं हो रहा है कि इतनी वाहियात मूवी कैसे बना सकते हैं, पूरी मूवी को यदि आप ध्यान से देखेंगे तो पायंगे कि पूरी कहानी अतार्किक है आलिया (रूप) का वरुण (ज़फर) के प्रति आकर्षित होना या प्रेम में पड़ना बिल्कुल समझ में नहीं आता
है क्योंकि वह ज़फर के किरदार से परिचित थी कि ज़फर का लड़कियों से रिश्ता विस्तर तक का ही होता है इसकी पुष्टि ज़फर की माँ स्वयं रूप से करती है, मूवी में न तो प्रेम कहानी समझ आती है और न ही विभाजन का कॉन्सेप्ट। पूरी मूवी बहुत स्लो है। प्रोडक्शन हाउस और डायरेक्टर की जिम्मेदारी अच्छी मूवी बनाने में तब और बढ़ जाती है जब आपका नाम हो।