बात है 1994 - 1995 की ।। तब पापा के एक फ्रंड थे हम उन के घर ट्यूशन जाते थे। बस सुना था की अंकल कश्मीरी पंडित है। अनेक बार उन की माता जी ड्राई फ्रूट्स से बनी केशर से सजी कश्मीरी डिश खिलाती थी।
ये कश्मीर से जान बचा कर आये है बस तब इतना पता था ।
अनेक बार दादी और आंटी को कश्मीरी भाषा जो इस मूवी में दिखाई गई है में बात करते सुनते थे।
उस परिवार की आँखों में कितना दर्द था इस मूवी से समझ आया।।