गीतांजलि जैसी किताब अब कहां मिल सकती हैं आज हमारे बीच रवींद्रनाथ टैगोर होते तो और गीतांजलि मिलती जिससे पढ़ कर हमें और कुछ सीखने को मिलता!
रवींद्रनाथ टैगोर के किताबों से बहुत कुछ सीखने को मिला हैं इनका नाम बहुत ही सराहनीय है और हमें ऐसा लगता है कि कवि जी आज भी हमारे बीच हैं! रवींद्रनाथ टैगोर जी अमर हैं और अमर रहेगें!
सधन्यवाद!!