जीवन एक संघर्ष ही तो है तभी तो इस संसार में प्राण है, नहीं तो यह धरती जीवन विहीन हो गया होता प्रत्येक व्यक्ति हो या चरा चर जगत के कोई भी प्राणी हो किसी न किसी प्रकार से संघर्ष करते रहते है चाहे वह अपने पेट के लिये हो या अपनो के लिए ही क्यो न हो, और उनके इस संघर्ष में संसार के सभी जीव हो या निर् जीव किसी न किसी प्रकार से सहयोग करते ही है l