जब यह फ़िल्म होकर इतनी डरावनी व वीभत्सता को प्रदर्शित कर रही है तो जिन लाचार लोगो ने इस वहशीपना, दरिंदगी को सहा होगा वे...…..मैं क्या कहूँ मेरे पास उस पिशाची प्रवृत्ति को बयां करने के लिए कोई भाव और शब्द नही मिल रहे है और यहां हमको मा0चो0 सेकुलरिज्म का पाठ पढ़ाते है आज तक किसी मुसलमान ने इस नरसंहार पर खेद नही व्यक्त किया ।।