हमने राजा-रानी की कहानियाँ सुनी। परियों की कहानियों पर भरोसा किया। भूतों को भी ऑलमोस्ट सच ही मानते हैं और ईश्वर में आस्था का तो पूछो ही मत।
तो हम ये भी मानेंगे कि इसी धरती पर कहीं एक तारा सिंह भी रहता है जो हाथों से हथकड़ियाँ तोड़ देता है। हथौड़े से जीप फाड़ देता है। बाजुओं से तोप का रुख मोड़ देता है। बस चिल्ला भर दे तो पाकिस्तानी मेजर जनरल भी सहम जाता है। और जो कहीं वो हैंडपंप के साथ दिख जाए तो चौतरफा हिंसक भीड़ जहाँ की तहाँ ठिठक जाती है।
जो लोग कह रहे हैं कि ये फिल्म देखने के लिए दिमाग साइड में रखना पड़ेगा, सही कह रहे हैं क्योंकि तारा सिंह हमारे दिमाग में नहीं, हमारे दिल में बसता है। इसलिए हम वो सब मानेंगे जो तारा सिंह एक बड़े से रूपहले पर्दे पर हमसे मनवाने की कोशिश करेगा। और तो और, उसको तो कोशिश करने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी, हम बस मान जाएंगे।
हम मान जाएंगे कि है इसी जहाँ में 65 साल का एक आदमी जो जब-जब सिनेमा में ऐक्शन की हानि होने लगती है, तब-तब ऐक्शन हीरो का भेष धरकर आता है और दुनिया के बाकी सारे डोले-शोलेशुदा हाई-फाई ऐक्शन हीरोज़ को पानी पिला देता है।
हम ये सब मान जाएंगे।
ये एक पोस्ट सोशल मीडिया पे मिला, सोचा इससे अच्छा रिव्यू कुछ हो ही नहीं सकता.