एक वाक्य में कहूं तो फिल्म बढ़िया है। पारिवारिक है और फुल पैसा वसूल है। इस फिल्म में हास्य और हॉरर का स्तर पहली दो फिल्मों की अपेक्षा बहुत ऊंचा है। अनीस बज्मी के निर्देशन की सराहना होनी चाहिए। फिल्म हास्य के साथ डर को एक नए स्तर पर ले जाती है। फिल्म की चतुराई भरी स्क्रिप्ट जो कॉमेडी और हॉरर को एक दूसरे पर हावी नहीं होने देती। फिल्म खुलकर हंसाती है तो अंत तक डर भी बनाए रखने में सफल रहती है। कार्तिक आर्यन ने बेहतरीन अभिनय किया है। माधुरी दीक्षित और विद्या बालन दोनों ने अपने अभिनय के साथ न्याय किया है। हालांकि तृप्ति डिमरी की अदाकारी औसत दर्जे की दिखाई दी। विजय राज, राजपाल यादव, संजय मिश्रा और अश्विनी कालेसकर की कॉमेडी ने फिल्म को नई ऊंचाई दी है। यह फिल्म प्रत्येक नए मोड़ के साथ नए आश्चर्य भी लेकर आती है। अंतिम दृश्य वाकई में कमाल है, जो दर्शकों को अगले कदम के बारे में सोचने पर मजबूर कर देता है। फिल्म का सबसे बड़ा सस्पेंस ये है कि फिल्म में मंजुलिका कौन है। मंजुलिका जिसको दो सौ साल पहले महाराज ने दंडित करने के लिए जिंदा जलवा दिया था। फिल्म में क्लाइमेक्स का ट्विस्ट दर्शक को चौंकाने के लिए काफी है। हालांकि फिल्म का अंत थोड़ा इमोशनल भी करता है, लेकिन स्क्रिप्ट के लिहाज से इससे बढ़िया क्लाइमेक्स नहीं हो सकता था। संगीत की बात करें तो यह पक्ष कमजोर है। अगर आप मजेदार हॉरर-कॉमिडी और पारिवारिक फिल्मों के शौकीन हैं, तो यह फिल्म देख सकते हैं।