हॉल में लोग कम थे लेकिन जो थे उन्हें देख कर लग रहा था कि सभ्य और समझदार लोग हैं, जिन्हें आप चुटकुले सुना कर खुश नही कर सकते। तो शुरू करता हूं...वैसे तो सबके अपने व्यू है लेकिन मुझे लगता है कि मूवी ने खुल के सब कुछ बताने की ईमानदार कोशिश की..चाहे देश के इतिहास के साथ छेड़छाड़ हो या एडुकेशन सिस्टम में एक विशेष मानसिकता को थोपने की कोशिश.. यहां तक कि सीक्रेट फाइलों और देश की गोपनीयता के साथ बलात्कार..ये भी सच है कि जिस आदमी का जीवन इतना गजब का रहा हो उसका पब्लिक डोमेन में कोई कन्सर्न ही नही है...मूवी में इतने फैक्ट्स, बुक्स के रेफरेंस और लोगों के स्टेट्समेंट्स होने के बावजूद मूवी बोरिंग नही है, बल्कि एक फ्लो में चलती है, । शास्त्री जी के जीवन पर कुछ डायलॉग हैं तो कुछ जनरल हैं जो कि मूवी को जबरदस्त बनाते हैं राम भी चलेगा, रावण भी चलेगा, ये देश शास्त्री जी का क्यों नही है?...
कुछ बातें जो कि मूवी से नई पता चली...शास्त्री जी पक्के गौ भक्त थे.. उन्होंने अपने नाम आगे लगा श्रीवास्तव हटा लिया क्योंकि वो कास्ट सिस्टम के विरोधी थे। उनके पास खुद की कार भी नही थी..बाद में एक ली वो भी किस्तों पर..तो जाइये और जरूर देखिए