जिन लोगों को हिंदी कथाकारों के लेखन कौशल पर थोड़ा भी संदेह है , वो जरा इस अद्भुत रचना का आस्वादन करके देखें। लेकिन निवेदन करता हूं पढ़ते वक्त थोड़ा धैर्य रखें और कम से कम २ बार पढ़ें क्यों कि आंचलिक भाषा होने के चलते आपका मन पहली बार में विचलित हो सकता है। मेरा वादा है इसे पढ़ने के बाद आपको कुछ और पढ़ने का मन नहीं करेगा । पिछले ८ सालों से इसे बार बार पढ़ रहा हूं और हर बार मेरा मन उसी तीव्रता के साथ गुदगुदाता है , परेशान भी होता है , मैं मेरीगंज से बाहर निकल ही नहीं पाता हूं।