क्या कहानी का सिर्फ रियल होना ही काफी है? अगर हां तो ये मूवी देख सकते हैं। एक और चीज के लिए देख सकते हैं- वो है एक्टिंग। सबकी एक्टिंग उम्दा है।
पर कहानी और उसे दिखाने के तरीके में दम भी तो होना चाहिए। डेढ़ घंटे की मूवी में आप क्या देखते हैं। कमल और मिंटू ऐसा क्या अनोखा काम करना चाहते हैं जिसे दिखाकर फिल्म आपको बांधे रखे। संध्या का बाप क्या कर रहा है पूरी कहानी में। नर्स का इस फिल्म में क्या काम है।
क्लाइमेक्स के पांच मिनट के इंतजार में पूरी फिल्म बस देखते जाइये। एंटरटेनमेंट की उम्मीद मत कीजिए।