इस movie में ना केवल वीर सावरकर जी बल्कि समकालीन सभी महान व्यक्तित्वों से और परिस्थितियों से आज की पीढ़ी को अवगत करवाया है और ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आजादी हमें खड़ग और बंदूक के बिना नहीं मिली है। त्याग तपस्या और बलिदानों से मिली है जिसकी हमें कद्र करना सीखना होगा और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाना ही होगा