समय बर्बाद करने के लिए देखा जा सकता है।
कहानी बंधी हुई नहीं है, सम्भवतः लेखक/ निर्देशक पटकथा से न्याय नहीं कर पाये हैं। अपना निजी फ्रस्ट्रेशन या पूर्वाग्रहों को कहानी में डाले हैं। आखिरी एपिसोड बोरिंग है, इसमें वही घिसा पिटा नैरेटिव को पेश किया गया है, हर बार की तरह वही एक तरफा। जिसे देखते - देखते दर्शक अब बोर हो चुके हैं, और इसकी वास्तविकता से भी परिचित हैं।